Operation Sindoor: संकट में मानवता और वीरता की मिसाल

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Date: 12 may, 2025

पिछले सप्ताह भारत और पाकिस्तान, दो परमाणु-सशस्त्र पड़ोसी देश, एक तीव्र लेकिन संक्षिप्त युद्ध के कगार पर पहुंच गए थे। इस तनाव का केंद्र था ऑपरेशन सिंदूर, भारत की जवाबी सैन्य कार्रवाई, जो कश्मीर में एक आतंकी हमले के बाद शुरू हुई। आइए जानते हैं कि क्या हुआ, यह क्यों महत्वपूर्ण है, और आगे क्या हो सकता है।

शुरुआत: पहलगाम हमला और ऑपरेशन सिंदूर

22 अप्रैल, 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में एक आतंकी हमले में 26 नागरिक मारे गए। भारत ने इसके लिए पाकिस्तान-आधारित आतंकी समूहों को जिम्मेदार ठहराया, जिसे पाकिस्तान ने खारिज किया। जवाब में, भारत ने ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया, जिसमें पाकिस्तान के भीतर आतंकी ठिकानों पर हवाई हमले किए गए। ये हमले 7 मई की सुबह शुरू हुए और दशकों में सबसे गहरी सैन्य कार्रवाई थी।

लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई ने पुष्टि की कि ऑपरेशन में 100 से अधिक आतंकवादी मारे गए। भारत ने आतंकी शिविरों को निशाना बनाया, लेकिन इस कार्रवाई ने तनाव को और बढ़ा दिया। पाकिस्तान ने जवाब में ऑपरेशन बनियन मार्सूस शुरू किया, जिसमें ड्रोन और मिसाइलों से भारतीय सैन्य ठिकानों पर हमले किए गए। चार दिनों तक चली इस झड़प में 125 विमानों की हवाई लड़ाई देखी गई, जो हाल के इतिहास की सबसे बड़ी हवाई जंग थी।

नुकसान और तनाव

इस संघर्ष से दोनों पक्षों को नुकसान हुआ। भारत में पंजाब के फिरोजपुर में नागरिक घायल हुए और राजौरी में एक वरिष्ठ अधिकारी की मौत हुई। पाकिस्तान ने भारतीय हमलों से 11 लोगों की मौत की बात कही, जिसमें एक बच्चा शामिल था। दोनों देशों ने एक-दूसरे पर उकसावे का आरोप लगाया। भारत ने 23 अप्रैल को सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया, जिसे पाकिस्तान ने “शत्रुतापूर्ण कदम” बताया।

10 मई को अमेरिका की मध्यस्थता से शाम 5 बजे युद्धविराम की घोषणा हुई, लेकिन कुछ ही घंटों में भारत ने पाकिस्तान पर ड्रोन गतिविधियों और नियंत्रण रेखा (LoC) पर गोलीबारी के साथ इसका उल्लंघन करने का आरोप लगाया। श्रीनगर और जम्मू में विस्फोट हुए, और पाकिस्तान ने भारतीय हवाई अड्डों पर जवाबी हमले किए।

नाजुक युद्धविराम

11 मई तक एक अस्थिर युद्धविराम लागू हुआ, और रविवार सुबह तक LoC पर गोलीबारी की कोई खबर नहीं थी। अमेरिका, ब्रिटेन और सऊदी अरब जैसे देशों ने इस युद्धविराम का स्वागत किया। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने इसे “पूर्ण और तत्काल युद्धविराम” बताया। हालांकि, विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि अविश्वास और कश्मीर जैसे अनसुलझे मुद्दों के कारण यह युद्धविराम नाजुक है।

भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा कि युद्धविराम आतंकवाद पर भारत के रुख को कमजोर नहीं करता। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चेतावनी दी: “अगर पाकिस्तान से गोली आएगी, तो भारत से गोला जाएगा।”

यह क्यों महत्वपूर्ण है

1947 से कश्मीर विवाद भारत-पाकिस्तान संबंधों में तनाव का मुख्य कारण रहा है, जिसके कारण तीन बड़े युद्ध और कई छोटी झड़पें हुईं। दोनों देशों की परमाणु क्षमता इस संघर्ष को और खतरनाक बनाती है। हाल का संघर्ष, भले ही पूर्ण युद्ध न बना हो, उन्नत हथियारों और गहरे हमलों के कारण खास था।

ऑपरेशन सिंदूर ने भारत की आतंकवाद-विरोधी रणनीति को रेखांकित किया, जबकि पाकिस्तान ने जवाबी कार्रवाई से अपनी ताकत दिखाई। लेकिन अमेरिका की मध्यस्थता पर निर्भरता दोनों देशों के बीच सीधे विश्वास की कमी को दर्शाती है।

आगे क्या?

LoC के निवासी सतर्क आशावाद व्यक्त कर रहे हैं, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि भारत-पाकिस्तान संबंधों में कड़वाहट बरकरार है। युद्धविराम फिलहाल कायम है, और DGMO स्तर की बातचीत जल्द होगी। लेकिन सिंधु जल संधि और कश्मीर जैसे मुद्दे भविष्य में तनाव बढ़ा सकते हैं।

कश्मीर से पंजाब तक, इस दुश्मनी का मानवीय नुकसान जारी है। जैसा कि एक कश्मीरी विश्लेषक ने कहा, “चाहे भारत का युद्ध हो या पाकिस्तान का, सीमा पर लोग पीढ़ियों से अपनी जान गंवा रहे हैं।”

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